जीवित्पुत्रिका व्रत 2025 – तिथि, पूजा विधि, पारण समय व नियम जानें

जीवित्पुत्रिका व्रत 2025 इस साल 16 सितंबर अष्टमी तिथि पर मनाया जाएगा परंतु व्रत का पारण 17 सितंबर को किया जाएगा| इस दिन माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र के लिए एवं उनके सुखी स्वस्थ जीवन के लिए निर्जला व्रत रखती हैं| जीवित्पुत्रिका व्रत को जितिया के नाम से भी जाना जाता है| ज्यादातर यह त्यौहार झारखंड बिहार उत्तरी जैसे राज्यों में मनाया जाता है| इस व्रत को करने से माताएं अपनी संतान के लिए सूक्ष्म समृद्धि की कामना करती हैं|

जीवित्पुत्रिका व्रत 2025

जैसा कि आपको विशेष रूप से बताया किया कि यह व्रत निर्जला रखा जाता है जो की माता के लिए बहुत ही कठोर एवं परिश्रम का व्रत है| किंतु माताएं अपने संतान के लिए किसी भी प्रकार का निकला व्रत रख सकती हैं| यह व्रत किसी विशेष दृष्टिकोण से देखा जाए तो माता एवं संतान से जुड़ा हुआ एक ऐसा व्रत है जिसमें भगवान नारायण की पूजा कर माता अपने संतान के लिए सुख एवं स्वस्थ जीवन की कामना करती है| यह विशेष व्रत माता एवं संतान के गहरी प्रेम को दर्शाता है जो की केवल माता के त्याग और उनके संकल्प पर निर्भर होता है|

जीवित्पुत्रिका व्रत को करने की पूजा विधि एवं नियम

मान्यता है कि इस व्रत की शुरुआत अष्टमी तिथि से पूर्व सप्तमी तिथि की रात्रि से ही आरंभ हो जाता है| जिस दिन माताएं स्नान इत्यादि कर भोजन ग्रहण करती है| इस गतिविधि को नहाए खाए के रूप में जाना जाता है| विशेष रूप से इस दिन भोजन में शुद्ध चने की दाल गाय का देसी घी बाजरे की रोटी नानी का साग राम तेरी की सब्जी अरवा चावल का भात अरहर की दाल पापड़ और पकौड़ी एवं मीठा पकवान इत्यादि|

जीवित्पुत्रिका व्रत
जीवित्पुत्रिका व्रत

नहाए खाए के दिन ध्यान रखें कि आप जो भी भोजन कर रहे हैं वह बिना किसी लहसुन प्याज के हो| जो भी माताएं इस व्रत का पारण करती है उन्हें सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान इत्यादि कर लेना चाहिए| संभव हो तो नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिलकर स्नान करें| आईए आपको बताएं कि इस व्रत को करने की पूजा विधि में किन किन नियमों का पालन करना चाहिए|

  1. माताएं सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें|
  2. जितिया का व्रत कठोर एवं निर्जला होता है जिसमें यह पूरे 3 दिन तक चलता है अर्थात नहाए खाए से लेकर पारण के बाद जितिया का व्रत पूरा होता है|
  3. स्नान करने के बाद सर्वप्रथम आप अपनी पूजा की थाली तैयार कर ले जिसमें आप अपनी श्रद्धा अनुसार अपने बुजुर्गों द्वारा चलाए हुए रीति रिवाज से सामग्री एकत्रित करले|
  4. सामग्री एकत्रित करने के पश्चात आप अपने व्रत का संकल्प लें|
  5. प्रदोष काल में गाय के गोबर से पूजा स्थल पर छोटा सा चौका लगाकर जगह को स्वच्छ कर ले और छोटा सा तालाब बना ले
  6. इस व्रत में शाली राजा के पुत्र धर्मात्मा की पूजा करें|
  7. पूजा के इन सभी नियमों का ध्यान रखते हुए आप अपने व्रत को आरंभ करें एवं इसके बाद माताएं दीर्घायु और उनके सुख एवं समृद्धि के लिए भगवान से प्रार्थना करें और उनकी पूजा करें|
  8. व्रत के संपूर्ण होने के बाद भगवान सूर्य देव को आगे अर्पित करें और व्रत का पारण करें|

ऊपर बताए हुए नियमों का अगर आप विधि पूर्वक पालन करते हैं अवश्य ही आपका व्रत संपूर्ण होता है|

जितिया व्रत में रखे सावधानियां

जो भी महिलाएं इस व्रत का पालन करती है उन्हें कुछ विशेष बातों का विषय ध्यान रखना चाहिए|
1 व्रत के दिन किसी से भी लड़ाई झगड़ा ना करें|
2 ज्यादा से ज्यादा प्रभु कीर्तन करें|
3 व्रत के दौरान किसी भी प्रकार का झूठ ना बोले|
4 ब्रह्मचर्य का पालन अवश्य करें|
5 संभव हो तो अपने संतान को भी पूजा में अवश्य बिठा ले|

जीवित्पुत्रिका जितिया व्रत 2025 का पंचांग

  • नहाए खाए 13 सितंबर 2025 को|
  • अष्टमी तिथि की शुरुआत 14 सितंबर 2025 को सुबह 5 04 मिनट पर|
  • अष्टमी तिथि का समापन 15 सितंबर 2025 को सुबह 3 06 मिनट पर|
  • जीवित्पुत्रिका व्रत का दिन 14 सितंबर 2025|
  • व्रत का पारण 15 सितंबर 2025|

इस प्रकार से जितिया व्रत के विधि नियम और सावधानियां का सच्चे मन से पालन करें| भगवान आपकी हर मनोकामना को पूर्ण करें|

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