देवशयनी एकादशी 2025 हमारे हिंदू शास्त्र के वैदिक पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी की शुरुआत 5 जुलाई को शाम 6:58 पर शुरू होगी तथा इस एकादशी का समापन 6 जुलाई को शाम 9:14 संपूर्ण होगा| देवशयनी एकादशी का व्रत 6 जुलाई को किया जाएगा| हमारे हिंदू धर्म में आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी को बहुत ही अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है|
देवशयनी एकादशी 2025

माना जाता है कि अगर हम कोई भी व्रत ना कर पाए, या किसी भी प्रकार का दान पुण्य ना कर पाए तो हमें भगवान हरि विष्णु की सबसे प्रिय एकादशी का व्रत करना चाहिए क्योंकि एकादशी की महत्ता बहुत ही उच्च स्तर पर मानी जाती है| भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विधिपूर्वक पूजा अर्चना इस दिन की जाती है| धार्मिक मान्यता के अनुसार देवशयनी एकादशी के शुरुआत से भगवान विष्णु अगले 4 महीने के लिए निद्रा में चले जाते हैं जिसके चलते इस अवधि में कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं|
देवशयनी एकादशी व्रत की महत्वता –
माना जाता है कि एकादशी का व्रत करने वाला भक्त इस दिन पूरे प्रेमभाव से भगवान हरि विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करता है| और पूरे विधिपूर्वक भाव से इस व्रत को पूर्ण करता है| एकादशी का व्रत करने वाला मनुष्य इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र पहनकर भगवान हरि विष्णु का ध्यान करता है| तथा नियम अनुसार अपने ईष्ट की पूजा करता है|
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एकादशी के व्रत को करने से मनुष्य द्वारा किए गए कई पाप नष्ट हो जाते हैं तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है| कहा जाता है कि महाभारत काल में पांडवों के अलावा भीष्म पितामह जी ने इस व्रत की शुरुआत की थी| हर मास में दो बार एकादशी पड़ती है| इस तरह पूरे साल में 24 एकादशी होती हैं| हर महीने की हर एकादशी को अलग-अलग शास्त्र और पुराणों के अनुसार हरि दिन और हरि के नाम से भी जाना जाता है| इस व्रत को करने से मानसिक शांति तथा हरि भक्ति मिलती है|
एकादशी व्रत को करने के नियम –
- व्रत के दौरान कोई भी लड़ाई झगड़ा ना करें एवं कम से कम बातचीत करें और हरि नाम का जाप करें|
- एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके भगवान श्री हरि विष्णु जी का ध्यान करें|
- व्रत के दौरान किसी भी प्रकार का भोजन का दान ना करें|
- एकादशी के दिन किसी का अपमान ना करें एवं पूरे विधिपूर्वक इस व्रत को पूर्ण करें|
- एकादशी के दिन चावल का सेवन करना विशेष रूप से निषेध है| साथ ही साथ चावल का दान ना करें, इसे वर्जित माना गया है|
- व्रत के दिन भोग-विलास ना करें और पूर्ण रूप से ब्रह्मचर्य का पालन करें|
- एकादशी के दिन तुलसी माता जी को स्पर्श न करें और ना ही उनके पत्ते तोड़ें|
- एकादशी के दिन मन में किसी के प्रति कोई भी गलत भाव ना रखें|
- व्रत के दौरान आप दूध, फल इत्यादि का सेवन कर सकते हैं|
देवशयनी एकादशी का मुहूर्त –
- ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 4:08 मिनट से 4:48 मिनट तक
- सूर्योदय – सुबह 5:29 मिनट पर
- विजय मुहूर्त – दोपहर 2:45 मिनट से 3:40 मिनट तक
- सूर्यास्त – शाम 7:23 मिनट पर
- चंद्रोदय – दोपहर 3:38 मिनट पर
- चंद्रास्त – रात 2:07 मिनट पर
- गोधूलि मुहूर्त – शाम 7:21 मिनट से 7:42 मिनट तक
- निशिता मुहूर्त – रात 12:06 मिनट से 12:46 मिनट तक