हिंदू धर्म में एकादशी का किस प्रकार से विशेष महत्व है| एकादशी तो हमारे यूनिवर्स बहुत बार आती है लेकिन योगिनी एकादशी साल में सिर्फ एक बार आती है और यह एकादशी दिलाने वाली मानी जाती है| इस एकादशी के कितने लाभ है कि की व्याख्या करना बहुत ही काम है| यह एकादशी आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष में मनाई जाती है| इस वर्ष 2025 को यह एकादशी 21 जून शनिवार के दिन मनाई जाएगी|
योगिनी एकादशी 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
व्रत तिथि | शनिवार, 21 जून 2025 |
एकादशी प्रारंभ | 20 जून 2025 को रात 08:42 बजे |
एकादशी समाप्ति | 21 जून 2025 को शाम 06:50 बजे |
पारण का समय | 22 जून को सुबह 05:28 से 08:12 बजे तक |
योगिनी एकादशी व्रत कथा
अलकापुरी नगरी के राजा कुबेर भगवान शिव के परम भक्त थे। वे प्रतिदिन शिवजी की विधिपूर्वक पूजा करते थे। उनके सेवकों में एक प्रमुख सेवक था – हेममाली, जिसे प्रतिदिन मानसरोवर से जल लाकर शिवलिंग का अभिषेक करना होता था।

हेममाली भी भगवान शिव का भक्त था, परंतु एक दिन वह अपनी सुंदर पत्नी की मोह-भरी बातों में उलझ गया और अपने कर्तव्य को भूल बैठा। उस दिन वह समय पर जल नहीं ला सका, जिससे भगवान शिव के अभिषेक में विलंब हो गया। इस लापरवाही से कुबेर अत्यंत क्रोधित हो उठे। जब उन्होंने इसकी जानकारी शिवजी को दी, तो भगवान शिव ने हेममाली को शाप देते हुए कहा कि वह अपने कर्मों का फल कोढ़ रोग के रूप में भुगतेगा और धरती पर गिरकर कष्ट पायेगा।
शिवजी के शाप से पीड़ित होकर हेममाली कोढ़ग्रस्त हो गया। उसका शरीर गलने लगा और वह भूखा-प्यासा इधर-उधर भटकने लगा। दुख, पीड़ा और ग्लानि से भरकर वह हिमालय की तलहटी में एक वन में पहुंचा, जहां उसकी मुलाकात महर्षि मार्कण्डेय से हुई।
महर्षि मार्कण्डेय ने उसकी अवस्था देखकर करुणा की और उससे उसके पापों का कारण पूछा। हेममाली ने रोते हुए अपनी पूरी कथा सुनाई। तब ऋषि ने उसे बताया कि यदि वह आषाढ़ कृष्ण पक्ष की योगिनी एकादशी का व्रत विधिपूर्वक करे, तो वह अपने सभी पापों से मुक्त हो सकता है।
हेममाली ने श्रद्धा और निष्ठा से योगिनी एकादशी का व्रत किया – उपवास, पूजन, जप और ध्यान द्वारा भगवान विष्णु की आराधना की। इस व्रत के प्रभाव से उसका कोढ़ रोग ठीक हो गया, उसके पाप नष्ट हो गए और वह अपने पुराने जीवन की ओर लौटकर फिर से सुखी और सम्मानित जीवन जीने लगा।
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योगिनी एकादशी व्रत विधि
- योगिनी एकादशी के व्रत के पहले दिन दसवीं को सात्विक भोजन करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें|
- एकादशी के दिन सुबह स्नान करें और भगवान विष्णु के सामने दीपक जलाएं।
- भगवान को फल, पंचामृत, तुलसी और पीले पुष्प अर्पित करें।
- “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।
योगिनी एकादशी के लाभ
- यह व्रत जो मान्यताओं के अनुसार बहुत ही लाभकारी है इस व्रत को 84 लाख योनियों से मुक्ति दिलाने वाला भी कहा गया है
- आपको कोई त्वचा संबंधित रोग है तो आपको उससे भी बुद्धि मिल जाएगी|
- विशेष रूप से अगर परिवार में सुख शांति, मां की शांति व अन्य कई लाभ इस व्रत को रखने पर मिलेंगे
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