गुरु पूर्णिमा 2025- आषाढ़ महीने की गुरु पूर्णिमा 10 जुलाई को मनाई जाएगी. गुरु पूर्णिमा का हमारे हिंदू पंचांग में पर्व अत्यधिक महत्वपूर्ण माना गया है. जुलाई महीने में गुरु पूर्णिमा का पर्व 10 जुलाई को रात 30 मिनट पर शुरू होगी एवं स्थिति का समापन 11 जुलाई को रात्रि 2:06 पर होगा.
गुरु पूर्णिमा 2025 कब है?
तारीख: गुरुवार, 10 जुलाई 2025
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 10 जुलाई 2025 को रात 1:36 AM से
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 11 जुलाई 2025 को रात 2:06 AM तक
पर्व का नाम: गुरु पूर्णिमा या व्यास पूर्णिमा
गुरु पर्व का पंचांग –
- ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 4:10 मिनट से 4:50 मिनट तक
- सूर्योदय – सुबह 5:31 मिनट पर
- विजय मुहूर्त – दोपहर 2:45 से 3:40 तक
- चंद्रोदय चंद – रात्रि 7:20 तक
- गोधूलि मुहूर्त – रात 7:21 मिनट से 7:41 मिनट तक
- निशिता मुहूर्त – रात 12:06 मिनट से 12:45 मिनट तक
गुरु पूर्णिमा का महत्व –
गुरु पूर्णिमा का पर्व धार्मिक शास्त्रों के अनुसार वेदव्यास के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है| वेदव्यास जी अष्ट चिरंजीवियों में से एक थे जिन्हें यह वरदान मिला था कि उनकी मृत्यु कभी नहीं होगी वह कभी वृद्धा अवस्था में नहीं होंगे और हर युग में जीवित रहेंगे महर्षि वेदव्यास को प्रभु भगवान विष्णु का अवतार माना गया है|

माता सत्यवती के गर्भ से जन्म लेते ही वेदव्यास जी युवा हो गए थे और तब करने चले गए थे| गुरु पूर्णिमा 2025 का पर्व गुरुओं को समर्पित किया गया है| हमारी भारतीय संस्कृति में गुरु एवं शिष्य का स्थान सबसे सर्वोत्तम माना जाता है|
जैसे की कहा भी गया है “गुरु वह दीपक है जो स्वयं जलकर दूसरों को रोशनी प्रदान करते हैं” अर्थात गुरु का स्थान अज्ञानता को अंधकार से दूर करने वाला है.|वैसे ही हम आपको बताएं की महर्षि वेदव्यास जी ने मनुष्य जाति को हमारे धार्मिक वेदों का ज्ञान दिया था| महर्षि वेदव्यास जी इस संसार में एक ऐसे गुरु थे जिन्हें चार वेदों का ज्ञान था और इस दिन महर्षि वेदव्यास जी का जन्म हुआ था| इसी करण आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि को श्री वेदव्यास जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जा गुरु का हमारे जीवन मेंता है|
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गुरु का हमारे जीवन में क्या महत्व है- गुरु का मार्गदर्शन हमारे जीवन में प्रकाश का का महत्व दर्शाता है| आज के युग में गुरु का स्थान सबसे सर्वोत्तम माना गया है| गुरु के बिना हमारे जीवन का कोई भी कार्य हो सफल नहीं हो सकता है क्योंकि जब से इस संसार का संचलन हुआ है तब से गुरु का महत्व बना हुआ है| कहा जाता है हमारे वेद पुराण अन्य धार्मिक ग्रंथ आदि में महान संतों द्वारा गुरु की महिमा का जिक्र किया गया है| समाज में अपनी स्थिरता को बनाए रखने में गुरु शब्द का प्रयोग हमारे असल जीवन जीने में सहायता करता है क्योंकि माता-पिता हमारे सबसे प्रथम और अध्यापक या कोई अन्य वेद गुरु हमारे जीवन के वह अहम पहलू हैं जिनके बिना हमारा जीवन व्यर्थ है|
गुरु पूर्णिमा 2025 की पूजा विधि –
- इस पावन पर्व के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठे एवं स्नान इत्यादि करें|
- स्नान इत्यादि करने के पश्चात साफ स्वच्छ वस्त्र पहने और अपने घर के मंदिर में अपने गुरु की तस्वीर को सामने रखें एवं विधिपूर्वक उनकी पूजा करें|
गुरु मंत्र:
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु: गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरुः साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः॥
- गुरु का आवाहन करें एवं उनकी स्तुति करें|
- अपनी श्रद्धा के अनुसार पूजा थाली में फल फूल चावल भोग इत्यादि इकट्ठा करें|
- अपना आसन रखें एवं पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठे|
-सर्वप्रथम गुरु का स्नान आदि करवा ले, तत्पश्चात उनकी पूजा आरंभ करें|
गुरु पूजा | अपने गुरु या आचार्य को पुष्प, वस्त्र, अक्षत, फल आदि अर्पित करें। |
पादुका पूजन | गुरुओं की चरण पादुकाओं की विशेष पूजा की जाती है। |
गुरु स्तोत्र पाठ | जैसे कि “गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु…” आदि श्लोकों का पाठ करें। |
व्रत एवं ध्यान | इस दिन व्रत रखकर गुरु के उपदेशों पर मनन किया जाता है। |
सत्संग और भजन कीर्तन | मंदिरों व आश्रमों में भजन, कीर्तन और प्रवचन होते हैं। |
सेवा और दान | गरीबों को अन्न, वस्त्र और अन्य सामग्री दान दी जाती है। |